दर्द किसे कहते हैं इस बेटी से जाकर पूछे, पहले भाई फिर पिता के शव को दिया कंधा


कोरोना काल में बहुत से लोगों ने अपनों को खोया है। ऐसे कोरोना काल की दूसरी लहर में बहुत ही भयावह तस्वीरें एक के बाद एक सामने आ रही है। अब मध्य प्रदेश के शाजापुर का यह मामला ही ले लीजिए। यहां सोमवार को 24 वर्षीय बेटी ने अपने कंधों पर पिता का शव उठाया और मुखाग्नि भी दी। दुख की बात ये थी कि चार दिन पहले ही उसने अपने भाई की मुखाग्नि भी दी थी।

दरअसल 61 वर्षीय अवधेश कुमार सक्सेना शाजापुर के एमएलबी स्कूल में प्रिंसिपल थे। वे 15 दिन पहले अपने छोटे भाई और भतीजे का कोरोना का इलाज करवाने गुना आए थे। यहां वे भी इस वायरस के शिकार हो गए। जल्द ही अवधेश कुमार की पत्नी , बेटी तनवी और बेटा शुभम (32) भी संक्रमित हो गया। शुभम की हालत बिगड़ने लगी और उसका निधन हो गया। ऐसे में तनवी ने नम आंखों से भाई की चिता को मुखाग्नि दी। इसके बाद वह भाई की मौत के गम पर पत्थर रख पिता की देखरेख के लिए अस्पताल आई। वहीं मां शाजापुर की एक लॉज के कमरे में आइसोलेट थी। 

इस बीच तनवी के पिता की सांसें भी अचानक थम गई। ऐसे में तनवी को पिता की अर्थी भी अपने कंधों पर उठाकर ले जानी पड़ी। इस अंतिम यात्रा में सभी महिलाएं ही थी। घर सभी मर्द चाचा गोपालचंद्र और भाई लवली इत्यादि भी संक्रमित होने की वजह से गुना के अस्पताल में भर्ती थे। ऐसे में तनवी की सहायता को शहर के दो युवक मनीष सोनी और धर्मेंद्र शर्मा आए और उनके पिता के शव को कंधा दिया।

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तनवी ने छोटी सी उम्र में ही अपने पूरे परिवार को बिखरते देख लिया। जब भाई शुभम की मौत हुई थी तब भी तनवी अकेले ही परिवार से अंतिम संस्कार में आई थी। इस दौरान शुभम की बीवी नेहा सक्सेना और उसके दो साल के बच्चे ने शुभम का आखिरी बार चेहरे भी नहीं देखा था। फिर पिता के दहनत के समय भी न कोई परिजन आया और न ही कोई सगा संबंधी आया। सबकुछ तनवी को अकेले ही करना पड़ा। जिस किसी ने भी ये दृश्य देखा उसकी आंखें नम हो गई।

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